Friday 29 June 2012

Workshop on Content Creation J&K Software In-house Production

Radio Kashmir, Srinagar organizes Workshop on

“CONTENT CREATION J & K SOFTWARE – 
IN-HOUSE PRODUCTION”

A workshop on “Content Creation J&K Software – In-House Production” was held at Radio Kashmir, Srinagar on 27th June, 2012. Programme Heads of all AIR Stations of J & K state and all Programme Planners/Producers of Radio Kashmir, Srinagar and CBS, Srinagar participated in this workshop. Addl. Director General (NR-I & II) Ms. T. Dolkar and Dr. Upindra Raina (ADP Plg., DG:AIR) had come from Delhi to participate in this workshop. In the first session of workshop, eminent broadcaster and thinker,        Mr. Basharat Ahmad gave a lecture about the Content Creation for J & K Software In-house Production. His interaction/lecture enlightened the participants about the importance of content creation in programmes in the present scenario. In the second session of workshop, noted poet, writer, broadcaster Mr. Farooq Nazki shared his experiences as a broadcaster and highlighted the need of bringing innovations in Radio programmes content wise with special reference to changing trends in broadcasting and changing mood of people. Ms. T. Dolkar highlighted the purposes and aims of conducting such workshops. Dr. Upindra Raina  stressed upon the need to produce archival value programmes on various themes under J & K special package scheme.

Later in the afternoon, a musical concert was held in the auditorium of the Station in which prominent Kashmiri singers Ab. Rashid Hafiz & Party, Qaiser Nizami & Shahi Mumtaz entertained a large gathering present in the auditorium by singing Kashmiri Folk and Light Music.
Some Glimpses of the Workshop
 


Thursday 28 June 2012

SEMINAR ON KASHMIRI PROSE

Radio Kashmir, Srinagar organizes
Seminar on Kashmiri Prose-

“POST INDEPENDENCE KASHMIRI PROSE”
 One day seminar on “POST INDEPENDENCE KASHMIRI PROSE” was organized by Radio Kashmir, Srinagar on 26th of June 2012. Smt. Rukhsana Jabeen, Programme Head, Radio Kashmir, Srinagar presented the welcome address. Ms. T. Dolkar, ADG          (NR–I&II) presented the keynote address and highlighted the purpose of holding this seminar. The seminar was held in two sessions i.e. Session 1st on “Kashmiri Novel & Kashmiri Drama” and Session 2nd “On Kashmiri Short Story & Poetic Symposium in Urdu”. Dr. Basher Bashir (Chairman, Sheikh-ul-Aalam Chair, University of Kashmir) presented his paper on Kashmiri novel, Padamshree Moti Lal Kemu read out his paper on Kashmiri Drama and Prof. Shafi Shouq (Eminent Writer) spoke on Kashmiri Short Story. The panel of observers comprising of prominent writers and thinkers like Prof. Majeed Muzmar, Film Maker and Theatrist  M. K. Raina, Ayash Aarif, Dr. Aziz Hajini, (Convener Kashmiri Advisory Board, Sahitya Academy, New Delhi) Prof. Shad Ramzan and Mushtaq Ahmad Mushtaq took part in the discussion on the papers. The 1st session was chaired by Mohammad Yousuf Teng (Noted Writer and Scholar whereas Justice (Rtd.) Bashir Ahmad Kirmani was the Chief Guest. Additional Director General of All India Radio Ms. T. Dolkar was the Guest of Honour for the day. 2nd session was chaired by Padamshree Prof. Hamidi Kashmiri (Noted Poet, Writer, Critic and former Vice Chancellor, Kashmir University) while as Farooq Nazki (Noted Poet and Broadcaster) was the Chief Guest.

A poetic symposium in Urdu was a part of 2nd session in which prominent poets like Rafiq Raaz, Hamdam Kashmiri, Sultan-ul-Haq Shaheedi, Farooq Nazki, Prof. Syed Raza, Dr. Nikhat Nazar, Hamidi Kashmiri and Parveen Raja presented their poems.

Vote of thanks was presented by Sr. Programme Executive, Mr. Shamshad Kralwari.

Some Glimpses of the Seminar



कविता के सात रंग
दोहा, हाइकु, गजल, छंदमुक्‍त, गीत, मुक्‍तक, पद 

आकाशवाणी दिल्‍ली की विशेष प्रस्‍तुति के तहत आमंत्रित श्रोताओं के समक्ष 'कविता के सात रंग' कार्यक्रम बुधवार , 27 जून को प्रसारण भवन में आयोजन किया गया जिसमें रचनाकारों ने दोहा, हाइकु, गजल, छंदमुक्‍त, गीत, मुक्‍तक और पदों का पाठ किया। कार्यक्रम के संचालक और रचनाकार अरूण सागर ने दोहा पाठ के लिए कृष्‍ण मिश्र को आमंत्रित करते हुए कहा कि - दोहा की रचना तुलसीदास से आज तक जारी है। कृष्‍ण मिश्र ने समकालीन स्थितियों के संदर्भ में कुछ अच्‍छे दोहे सुनाए -
' पंचायत में न्‍याय का पूछ रहे हो हाल
दारू की दुर्गंध से महक रही चौपाल।'
चर्चित कवि विजय किशोर मानव ने अपने कुछ सार्थक पदों को गाकर सुनाया -
'पुजें महंत मठों में
देकर देवों को वनवास
छोड मन राम राज की आस।'
बाल साहित्‍यकार और गीतकार कृष्‍ण शलभ ने अपने रोमानी और प्रकृति की छटा बिखराते गीतों को प्रस्‍तुत किया -
'फिर आ बैठी आज तुम्‍ही सी किरण पंखिया भोर बगल में
चाय लिए गुनगुनी धूप  की बैठी मेरे पास पी रही ...।'
कृष्‍ण शलभ के गीतों के बाद अरूण सागर ने छंदमुक्‍त कविता के सशक्‍त हस्‍ताक्षर मदन कश्‍यप को आमंत्रित करते कहा कि - छंदमुक्‍त कविता की वह सशक्‍त शैली है जो आमजन को उन्‍हीं की शैली में अपनी बातें कहती है। मदन कश्‍यप ने 'बहुरूपिया' कविता का पाठ किया -

'बनने की विवशता और नहीं बन पाने की असहायता
 के बीच फंसा हुआ वह एक उदास आदमी था...'
हइकू रचनाकार जगदीश व्‍योम ने बताया कि - हाइकू साहित्‍य में स्‍थापित हो चुकी विधा है और यह दुनिया में सबसे ज्‍यादा लिखी जाती है। सतरह अक्षरों की इस कविता में पहली पंक्त्‍िा में पांच, दूसरी में सात और तीसरी में पांच अक्षर होते हैं। फिर उन्‍होंने कई सारगर्भित हाइकू सुनाए -
'उगने लगे
कंक्रीट के वन
उदास मन।'
जगदीश व्‍योम के बाद गजलकार अशोक वर्मा ने अपनी दो गजलें सुनायीं -
'इक घरौंदे की खातिर मैं खटता रहा
हवा थी कि तिनके उडाती रही।'
कार्यक्रम के अंत में अरूण सागर ने अपने मुक्‍तकों का पाठ किया -

'अगर कुछ लोग ही पीते रहे दरिया, समंदर तो
मेरा दावा है सर चढ जाएगा हालात का पानी।'

Wednesday 27 June 2012

मुशायरा - “ रंग - ए - हिना ”



            आकाशवाणी की राष्‍ट्रीय प्रसारण सेवा दिल्‍ली द्वारा हाल ही में 'रंग-ए-हिना' मुशायरे का आयोजन किया गया, जिसमें उर्दू की चर्चित शायराओं ने अपनी शायरी पेश की। कार्यक्रम में तरन्नुम रियाज, अजरा नकवी, शबाना नजीर, डॉ० इफ्फत जर्री और डॉ० सलमा शाहीन ने भाग लिया।
      प्रोग्राम का संचालन सबीहा खां ने किया | इस अवसर पर अपने विचार व्‍यक्‍त करते हुए आल इंडिया रेडियो, दिल्‍ली के डायरेक्टर लक्ष्मी शंकर वाजपयी ने कहाकि आल इंडिया रेडियो चैनल ने उर्दू कवयित्रियों के लिए खास तौर पर उस मुशायरे का आयोजन किया। उन्होंने  कहा कि आज का मुशायरा निश्चित तौर पर मील का पत्‍थर साबित होगा।
      राष्‍ट्रीय प्रसारण सेवा के सहायक निदेशक श्री वी. के. साम्बयाल ने कहा कि आल इंडिया रेडियो के नेशनल चैनल ने  इन शायरात की होसला अफजाई के लिए यह आयोजन किया है | मुशायरे में पढ़े गए कलाम के कुछ अंश पेश हैं ।

1.      काखाँ सुस्त मुसाफिर को सजा देता है ।
जर्द पतो को हर एक पेड़ गिरा देता है ।
डॉ इफ्फ्त जर्री.

2.      वक्त अच्छा था तो साये की तरह साथ थे लोग ।
अबं बही लोग बताते है फसाने तेरे ।
डॉ सलमा शाहीन

3.      मेरी दुआ में नही मोजजो की तासीरें ।
नसीब खोजने वाली में कौन होती हूँ ।
तरन्नुम रियाज

4.      वक्त तुम्हारी खातीर अपना सीले खां क्यू रोकेगा ।
क्व तक पानी के ऊल्टे रुख टूटी नाव चलाओगी ।
 
अजरा नकवी

             
                                  शबाना नजीर
मुशायरा की रिकॉर्डिंग 23 जून की रात गयारह बज कर दस मिनट पर आल इंडिया रेडियो के नेशनल चैनल पर प्रसारित की गई ।

Tuesday 26 June 2012

"Mallika-e-Ghazal Begum Akhtar"- 'Kaaljayee Swar Sampada'


All India Radio's Sound Archives in collaboration with India Habitat Centre Delhi organised a guided listening session covering musical artistry of "Mallika-e-Ghazal Begum Akhtar" on 23rd June, 2012 under the series 'Kaaljayee Swar Sampada'. The audio-visual session on Begum Akhtar's musical journey was conducted by her senior most disciple Vidushi Shanti Hiranand. The programme had some rare audio/video clippings of Begum Akhtar. Shanti Ji recalled some interesting anecdotes from her long association with her mentor. The programme was very well received by the connoisseurs who came in large number. 


FEW GLIMPSES OF THE FUNCTION

Monday 25 June 2012

आकाशवाणी के केन्‍द्र निदेशकों का सम्‍मेलन : AIR's SDs conference

AIR's Station Directors Conference was held in Kochi in Feb.,2012.Some glimpses
फरवरी,2012 में आकाशवाणी के केन्‍द्र निदेशकों का सम्‍मेलन कोची में सम्‍पन्‍न हुआ। कुछ झलकियां...





Wednesday 20 June 2012

राजर्षि पुरूषोत्तम दास टंडन स्मृति व्याख्यान


सुप्रसिद्ध समालोचक, नाटककार एवं निबंधकार डॉ. प्रभाकर श्रोत्रिय ने ‘हिन्दी भाषा की सरलता के रास्ते में चुनौतियां’ विषय पर 19 जून, 2012 को आकाशवाणी के प्रसारण भवन में ‘राजर्षि पुरूषोत्तम दास टंडन स्मृति व्याख्यान’- 2012 के अंतर्गत व्याख्यान प्रस्तुत किया। इस अवसर पर श्री राकेश टंडन और डॉ. दिनेश टंडन ने राजर्षि पुरूषोत्तम दास टंडन जी के व्यक्तित्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि वे सच्चाई, ईमानदारी, निर्भीकता के प्रतीक थे और त्याग के लिए आदर्श व्यक्तित्व के रूप में जाने जाते थे। व्याख्यान अत्यंत प्रेरणादायक एवं मर्मस्पर्शी था। व्याख्यान में दर्शकों की उपस्थिति काफी अच्छी थी।  हिन्दी के प्रति उनका अगाध अनुराग  उनके व्याख्यान में स्पष्ट झलका और उन्होंने संविधान सभा द्वारा राजभाषा मनोनयन से लेकर हिंदी की शब्द सम्पदा को सरल बनाने तक, विस्तृत रूप से विश्लेषण किया और कहा कि हिंदी इस देश और इस राष्ट्र की आत्मा है। इसके अलावा, हिंदी राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय भाषा भी है क्योंकि हिंदी के बोलने वाले विविध हैं। हिंदी का मूल चरित्र जनभाषा का चरित्र है इसलिए इसकी शब्दावली में निरंतर जनभाषा के शब्दों का समायोजन किया जाना आवश्यक  है।


    राजर्षि पुरूषोत्तम दास टंडन स्मृति व्याख्यान में राजर्षि पुरूषोत्तम दास टंडन जी के परिवारजन के अलावा आकाशवाणी महानिदेशालय की अपर महानिदेशक, श्रीमती अलका पाठक, आकाशवाणी, दिल्ली के केन्द्र निदेशक, डॉ. लक्ष्मी शंकर बाजपेयी तथा कई अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।


Monday 11 June 2012

डॉ. जगदीश चंद्र माथुर स्मृति व्याख्यान 2011

 डॉ. जगदीश चंद्र माथुर स्मृति व्याख्यान 23 दिसम्बर, 2011में श्रोताओं को संबोधित करते दूरदर्शन महानिदेशक श्री त्रिपुरारीशरण

आकाशवाणी महानिदेशालय द्वारा 23 दिसम्बर, 2011 को डॉ.जगदीश चंद्र माथुर स्मृति व्याख्यान का आयोजन आकाशवाणी दिल्ली के प्रसारण भवन में किया गया। सर्वप्रथम श्री लीलाधर मंडलोई महानिदेशक, आकाशवाणी ने जगदीश चंद्र माथुर जी के परिवार से आए हुए उनके दामाद श्री अशोक लाल एवं उनकी पुत्रवधु का स्वागत किया तथा स्व.जगदीश चंद्र माथुर जी की तस्वीर पर पुष्प अर्पित किए। इसके उपरांत पारिवारिक सदस्यों ने कुछ रोचक संस्मरण सुनाये जिससे उनके पारिवारिक व्यक्तित्व की झलक ताज़ा हो गई। 
     16 जुलाई, 1917 को बुलंदशहर, उ.प्र. में जन्मे जगदीश चंद्र माथुर ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से हिन्दी में एम.ए. की शिक्षा प्राप्त की। 1941 में आई.सी.एस.की परीक्षा उत्तीर्ण कर आप अमेरिका में प्रशिक्षण प्राप्त करने चले गए। स्कूल/कॉलेज के समय से ही नाटक लिखने और निर्देशन में उनकी रूचि थी। 1954 में वे आकाशवाणी के महानिदेशक बने। महानिदेशक के रूप में अनेक कलाकारों एवं साहित्यकारों को आकाशवाणी से जोड़ने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही। 
     इनकी प्रसिद्ध नाट्य कृतियों में कोणार्क’, ‘दशरथनंदन’, ‘शारदीया’, ‘पहला राजाअत्यंत चर्चित एवं प्रसिद्ध रहे हैं।  कई सम्मानों से आपको अलंकृत किया गया। सूचना तथा प्रसारण मंत्रालय में आप संयुक्त सचिव भी रहे। इनका निधन 14 मई, 1978 को हुआ। श्री माथुर जी की स्मृति में आयोजित व्याख्यान के वक्ता श्री त्रिपुरारिशरण जी, महानिदेशक दूरदर्शन ने निश्चित रूप से सर्वसम्मति से रेडियो टेलीविजन और फिल्म के संदर्भ में भाषा के मानकीकरण को निर्धारित करते हुए जनभाषा को मीडिया की भाषा स्वीकार किया। उन्होंने माना कि रेडियो और टेलीविजन की भाषा परिष्कृत एवं सुसंस्कृत हिन्दी ही हो सकती है, जिसमें अभिव्यक्त की गई सरल एवं सुबोध बातें अनेक वर्षों से आकाशवाणी एवं दूरदर्शन के अनेक प्रसारण केन्द्रों का आधार रही हैं। 
      अपने अध्यक्षीय संबोधन में सुप्रसिद्ध कवि लेखक एवं कथाकार डॉ.गंगाप्रसाद विमल ने मीडिया की भाषा, जनभाषा को माना और इसे समाज और संस्कृति से प्रभावित मानते हुए आम भाषा में बोली जाने वाली सरल हिन्दी को मीडिया की भाषा स्वीकार किया।

भारतीय नृत्य-संगीत का जादू पूरी दुनिया में : उमा शर्मा


8 जून ! आकाशवाणी दिल्ली की अपनी विशेष  कार्यक्रम श्रृंखला 'शाम की चाय' के अन्तर्गत जानी मानी नृत्यांगना उमा शर्मा को आमंत्रित किया गया था। श्रीमती शर्मा ने अंतरंग बातचीत के दौरान अपने जीवन से जुड़े अनेक रोचक प्रसंग सुनाए । उन्होने कहा कि भारतीय नृत्य और संगीत का जादू पूरी दुनिया में फैला हुआ है । श्रीमती शर्मा ने बताया कि भारतीय संगीत का सम्बद्ध सीधा आध्यात्म से है । उन्होंने राधा-कृष्‍ण से जुड़े कई प्रसंगों को अपनी मोहनी अदाओं से प्रस्तुत कर उपस्थित जन समूह का मन मोह लिया । कार्यक्रम में नृत्य और संगीत से जुड़ी अनेक हस्तियां मौजूद थीं । कार्यक्रम का संचालन डॉ. सुनीता बुद्धिराजा ने किया ।
इस कार्यक्रम का प्रसारण आगामी 25 जून 2012 को रात 9.30 से 10.30 तक इन्द्रप्रस्थ, राजधानी चैनल डी.टी.एच. एवं एफ.एम. रैनबो पर किया जाएगा ।